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फर्जी मैडीकल हाल पर मारा छापा एफडीए टीम ने की 37 प्रकार की दवाएं जब्त

चंडीगढ़ & हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज के निर्देशानुसार खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने जींद में एक शिकायत के आधार पर जींद के भिवानी बाई पास रोड़ स्थित मैसर्स सुरेश मेडिकल हॉल नामक गैर लाइसेंस परिसर में छापेमारी की] जिसमें 37 विभिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाओं का भंडार था और सभी दवाओं को जब्त कर लिया गया।

इस संबंध में जानकारी देते हुए खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि जींद की ड्रग कंट्रोल अधिकारी विजय राजे राठी ने अन्य अधिकारियों के साथ इस मैडीकल हॉल में छापा मारा और यहां 37 प्रकार की दवाओं को जब्त किया गया है तथा आरोपी के खिलाफ अदालत से हिरासत के आदेश ले लिए गए हैं।प्रवक्ता ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के प्रदेश के लिंगानुपात की ओर सुधाकर 950 की दर तक ले जाने के संकल्प को पूरा करने व हरियाणा सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान को कामयाब करने के लिए ऐसी संयुक्त रेड मिशन पूरा होने तक हरियाणा में जारी रहेंगी।

NPPA extends trade margin capping on five medical devices till July, 2022

The National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) has extended the timeline for the trade margin capping of the five medical devices which are essential during the Covid-19 pandemic period till July 31, 2022.

The Authority has issued an order that the capping on the trade margin of the five medical devices – pulse oximeter, blood pressure monitoring machine, nebuliser, digital thermometer and glucometer – at 70 per cent at first point of sale, to be extended from the earlier period ending January 31, 2022, to July 31, 2022.

NPPA initiated the margin capping through a notification in July 13, 2021, under the Drugs (Price Control) Order, 2013, at the first point of sale of these products through Trade Margin Rationalisation (TMR) approach. The related notes issued with the order in July, shall remain in force during the currency of the new order, it added.

The notification mandated to fix the Maximum Retail Price (MRP) as per the specified formula: “Maximum Retail Price = Price to Distributor (PTD) + (PTD x TM) + Applicable GST, Where TM = Trade Margin not exceeding 70%.”

NPPA, through an office memorandum on July 14, also directed manufacturers and importers of these medical devices to submit revised MRPs of their products, in pursuance to the price capping. Based on the data provided, the downward revision of MRP was reported by imported and domestic brands across all the categories.
Following this, a total of 1,132 products, including 277 pulse oximeters, 329 blood pressure monitoring machines, 105 glucometers, 164 digital thermometers and 257 nebulisers have reported prices of which 1,033 (91%) reported downward revision of MRP. The decrease in MRP was between Rs.12 to Rs. 2,95,375 (1%-89%) for pulse oximeters, Rs. 20 to Rs. 38,776 (1%-83%) for blood pressure monitoring machine, Rs. 30 to Rs. 2,250 (1%-98%) for glucometer, Rs. 8 to Rs. 44,775 (1%-89%) for digital thermometer and Rs. 56 o Rs. 6,165 (1%-83%) for nebuliser, according to NPPA.

The price regulator, through a notification on March 31, 2020 has brought that all medical devices including pulse oximeter, blood pressure monitoring machine, nebuliser, digital thermometer, and glucometer, to be governed under the provisions of DPCO, 2013 with effect from April 1, 2020.

It may be noted that earlier, the Authority has also extended the capping of trade margin of oxygen concentrators at the first point of sale for fixation of maximum retail price from November 30, 2021 to May 31, 2022.

The move resulted in price reduction of 70 out of 252 products and the MRP was reduced up to 54% (up to Rs. 54,337). The pricing of oxygen concentrators did not adversely impact domestic production and no disruption in supplies were observed, said NPPA officials.

Source : Pharmabiz

सोच-समझकर लें सप्लीमेंट्स, नहीं तो हो सकता है सेहत को नुकसान

बैलेंस्ड डाइट का अर्थ होता है संतुलित आहार। अब पोषक तत्वों का यह संतुलन कैसे कायम किया जाए, इसका निर्धारण हरेक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार अलग हो सकता है।

इसलिए हरेक व्यक्ति की बैलेंस्ड डाइट अलग-अलग होती है, जिसमें सभी पोषक तत्वों का सही अनुपात और ज़रूरत पडऩे पर डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स का भी योगदान होता है।

अकसर देखा गया है कि बहुत से लोग बिना सही जानकारी के कोई भी लक्षण दिखने पर अपने ही आंकलन के अनुसार कैल्शियम और प्रोटीन के सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं, जिसके सेहत पर काफी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

कमी हो तभी लें

बाज़ार में मौज़ूद मल्टी विटमिंस की बात करें तो उनकी कंपोज़ीशन और उनकी मात्रा दोनों पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है, क्योंकि बिना सलाह के लिए जाने बहुत से सप्लीमेंट्स के कंपोज़ीशन में उनकी मात्रा में कमी हो सकती है और व्यक्ति को केवल मानसिक संतुष्टि हो सकती है कि उसने सप्लीमेंट लेने शुरू कर दिए हैं।

केवल डॉक्टर उन कैप्सूल्स की कंपोज़ीशन और व्यक्ति में उसकी कमी के अनुसार डोज़ निर्धारित कर सकता है।

ज़रूरी बातें

जब करें कैल्शियम का सेवन:

कैल्शियम के अत्यधिक सेवन के कारण पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि कैल्शियम का एक कैप्सूल खाने के लिहाज़ से भारी होता है। ऐसे में चक्कर आना, ब्लोटिंग, पेट खराब रहना जैसी समस्याएं नज़र आती हैं।

इसके साथ-साथ महिलाओं में पीरियड्स का दर्द भी बढ़ सकता है। इसके कारण नसों और मस्तिष्क के संचालन में भी समस्याएं आ सकती हैं और किडनी में पथरी की समस्या का जोखिम हो सकता है।

बी कॉम्प्लेक्स का भी सोचें:

बी कॉम्प्लेक्स के सेवन के साथ तुलनात्मक रूप से गंभीर समस्या देखने को नहीं मिलती, क्योंकि यह पानी में घुल जाता है।

प्रोटीन को  करें नज़रअंदाज़:

प्रोटीन के सेवन की यदि बात करें तो मुख्य बिंदु संतुलन बनाने का है। यह संतुलन है प्रोटीन के सेवन और व्यायाम का, क्योंकि प्रोटीन के सेवन के साथ व्यायाम का सही संतुलन न रखा जाए तो लिया गया अतिरिक्त प्रोटीन किडनी और लिवर में जमना शुरुर हो जाता है।

इम्यूनिटी जब उल्टा काम करने लगे, तो ये पड़ता है असर शरीर पर: Must know

कोरोना काल में सबसे ज्यादा चर्चा इम्युनिटी की हुई। लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए क्या-क्या जतन नहीं किए। बाजार में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दवाइयों की बाढ़ आ गई।

एक समय तो इसका ब्लैक मार्केटिंग तक होने लगा। दरअसल, इम्युनिटी (immune) शरीर में बैक्टीरिया, फंगस, वायरस जैसी बाहरी शक्तियों से लड़ने या इन्हें खत्म करने के काम आती है।

जैसे शरीर के अंदर यानी खून में किसी बैक्टीरिया, वायरस आदि का जैसे ही प्रवेश होते हैं, इम्युन सिस्टम सक्रिय हो जाता है। एक तरह से यह फौज की तरह काम करता है।

हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक इम्युन सिस्टम शरीर में बाहरी आक्रमण होने पर यह अपनी फौज को उसे खत्म करने के लिए निर्देश देता है।

यह वायरस या बैक्टीरिया का काम तमाम करने के बाद वापस लौट आता है, लेकिन कभी-कभी यह इम्युनिटी उल्टा काम करने लगती है और अपने ही कोशिकाओं को मारना शुरू कर देती है। इसे ऑटोइम्युन बीमारी कहते हैं।

ऑटोइम्युन की बीमारी कई तरह की होती हैं। टाइप-1 डायबिटीज भी एक तरह से ऑटोइम्युन बीमारी है है। इसी तरह ऑर्थराइटिस, सोरयासिस (Psoriasis), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis), एडीसन डिजीज, ग्रेव्स डिजीज आदि ऑटोइम्युन डिजीज के प्रकार हैं। बीमारी की गंभीरता के आधार पर ऑटोइम्युन बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।

ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण क्या हैं

हर ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण अलग-अलग होते हैं।ऑटोइम्यूज बीमारियों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं जैसे जोड़ों में दर्द और सूजन, थकावट, बुखार, चकत्ते, बेचैनी आदि।इसके अलावा स्किन पर रेडनेस, हल्का बुखार, किसी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं होना, हाथ और पैर में कंपकपाहट, बाल झड़ना, स्किन पर रैशेज पड़ना आदि लक्षण ऑटोइम्युनि बीमारियों में आम हैं। इस बीमारी के लक्षण बचपन में भी दिख सकते हैं।

किसे है ज्यादा जोखिम

जिन लोगों के परिवार में यह पहले से मौजूद हैं, उनमें इस बीमारी का जोखिम सबसे ज्यादा है यानी इसमें आनुवंशिकता अहम भूमिका निभाती है।

अगर आपके परिवार में किसी को भी किसी तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है तो आपको भी इस तरह की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी का खतरा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है।

ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान

ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज़ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं।शारीरिक जांच करते हैं और खून में ऑटोएंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।

संतुलित आहार लेना जरूरू

ऑटोइम्युन की किसी भी तरह की बीमारी में संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है।इसके लिए पुराना चावल, जौ, मक्का, राई, गेहूं, बाजरा, मकई और दलिया का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा मूंग की दाल, मसूर की दाल और काली दाल का सेवन करना भी फायदेमंद है।मटर और सोयाबीन भी फायदेमंद है। फल और सब्जियों में सेब, अमरूद, पपीता, चेरी, जामुन,एप्रिकोट,आम, तरबूज, एवोकाडो, अनानास, केला, परवल, लौकी, तोरई, कद्दू, ब्रोकली का सेवन करें।

Cholesterol के बारे में मन में है ये धारणा, तो अभी इसे निकाल दें

Myth about cholesterol: अक्सर हेल्थ के मामले में कोलेस्ट्रॉल की चर्चा होती रहती है. आमतौर पर कहा जाता है कि कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा हो गया, इसलिए इन चीजों पर कंट्रोल करें या फैटी चीजों का सेवन नहीं करें।

यह सच है कि ज्यादा कोलेस्ट्रॉल के कारण कई प्रकार की परेशानियां पैदा हो जाती हैं, लेकिन कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं।

पहला बैड कोलेस्ट्रॉल जो मानव शरीर के लिए खतरनाक है और दूसरा गुड कोलेस्ट्रॉल जो शरीर के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की तरह ही जरूरी है।

कोलेस्ट्रॉल मानव कोशिकाओं के बाहर एक खास एलिमेंट से बनी हुई परत होती है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में कोलेस्ट्रॉल या लिपिड कहा जाता है।

मानव शरीर में होने वाली शारीरिक क्रियाओं को ठीक तरीके से पूरा करने के लिए कोलेस्ट्रॉल का होना बेहद जरूरी होता है। हमारे शरीर के विकास के लिए यह कई जरूरी हार्मोन का निर्माण करता है।

हालांकि कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों में कई तरह कई तरह के मिथ हैं।

कोलेस्ट्रॉल के बारे में मिथ

सभी कोलेस्ट्रॉल खराब होते है

कोलेस्ट्रॉल सेल मेंब्रेन का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। कोलेस्ट्रॉल ही स्टेरॉयड हार्मोन को बनाता है। इसलिए यह कहना कि सभी कोलेस्ट्रॉल खराब है, बिल्कुल गलत है।

डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होता। यह बिल्कुल निर्दोष है जिसे आधुनिक जीवनशैली में गलत तरह से पेश किया जा रहा है।

कोलेस्ट्रॉल के कारण ही विटामिन डी बनता है। हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का ऊंचा स्तर भी नुकसानदेह नहीं है।

यह खून की नलिकाओं से कोलेस्ट्रॉल के अन्य हानिकारक रूप को साफ कर देता है। हां अगर बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत बढ़ जाए, तो इससे बीमारी का खतरा हो सकता है।

हेल्दी हैं तो कोलेस्ट्रॉल सही होगा

 लोगों में यह भी धारणा होती है कि मैं तो हेल्दी हूं मेरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा नहीं होगा। ऐसा बिल्कुल गलत है।

डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल न कम होना ठीक है ना ज्यादा होना ठीक है बल्कि इसका संतुलित होना जरूरी है।विज्ञापन

कोई लक्षण नहीं दिख रहा

कुछ लोग कहते हैं कि अगर मुझे हाई कोलेस्ट्रॉल होता तो इसके लक्षण दिखते। यह भी धारणा गलत है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर आमतौर पर ऊपर से नहीं दिखता।

बैड कोलेस्ट्रॉल क्या हैलो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। जब लाइपोप्रोटीन में प्रोटीन की जगह फैट की मात्रा अधिक होने लगती है, तो यहां बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। इस स्थिति में हार्ट संबंधी रोग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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जयपुर (राजस्थान) में कोविड -19 टीकाकरण के नि:शुल्क शिविर का आयोजन

जयपुर (राजस्थान) में जुलाई के प्राथमिक दिनो में श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ नागरिक मंडल (जयपुर) व राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वाधान में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी नागरिकों के लिए राम मंदिर सत्संग भवन,गोविन्द नगर, श्याम नगर थाने के सामने, जयपुर में कोविड -19 टीकाकरण के नि:शुल्क शिविर के आयोजन में शिविर सह-प्रभारी के रूप में श्रीमान विजेंद्र गौड़ (Curo Prime) द्वारा उल्लेखनीय भूमिका निभाई गयी | उनके इस सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन करने पर Novalife Healthcare, बैंगलोर की ओर से हार्दिक आभार एवं शुभकामनाये

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Dr Reddy’s becomes first Indian company to launch anti-cancer drug in China

Hyderabad-based Dr Reddy’s Laboratories has become the first Indian pharmaceutical company to launch an anti-cancer drug in the Chinese market, India’s ambassador to China Vikram Misri said on October 13.

Abiraterone Acetate is a drug used for treating prostate cancer. It was first launched in the US in 2020, following approval from the US Food and Drug Administration (USFDA).

“Some good news this week – a breakthrough for the Indian pharmaceutical industry in China as Abiraterone by Dr Reddy’s becomes the first anti-cancer drug from India to enter the Chinese market,” Misri tweeted.

In China, Dr Reddy’s laboratories Ltd operates through its joint venture with Rotam Group of Canada. The joint venture is widely known as KunshanRotam Reddy Pharmaceutical Co, Ltd. (KRRP).

Besides China, Dr Reddy’s operates in markets across the globe including, the USA, India, Russia, and Europe.

Last year, Dr Reddy’s tied up with Russia’s RIDF for marketing and manufacturing of COVID-19 jab Sputnik V in India. Moneycontrol

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Dapagliflozin can improve kidney function: Lancet

A common diabetes medicine can be used as an option for treating certain people with chronic kidney disease (CKD) in adults, claims a study published in the journal Lancet.
Dapagliflozin belongs to a group of medicines called ‘sodium-glucose cotransporter-2 (SGLT2) inhibitors’.

An SGLT2 inhibitor works by blocking the SGLT2 protein in the kidneys. Blocking this protein alleviates kidney damage by reducing pressure and inflammation in the kidneys. It also helps to stop protein from leaking into the urine, and reduces blood pressure and body weight.
A clinical trial of 4,304 participants with CKD revealed that dapagliflozin reduces the rate of kidney function decline in patients with chronic kidney disease (CKD).

The participants were divided into two groups: With dapagliflozin 10 mg or placebo once daily, added to standard care.

Although participants without diabetes also experienced a slower rate of kidney function decline with dapagliflozin, the effect of dapagliflozin was greater in those with diabetes.

“The key conclusion is that dapagliflozin is an effective treatment to slow progressive kidney function loss in patients with CKD with and without type 2 diabetes,” said lead author Hiddo Lambers Heerspink, from the University Medical Center Groningen.

“Therefore, in addition to reducing the risk of heart failure or mortality, dapagliflozin also slows the progression of kidney function decline,” Heerspink added.

The findings will also be presented at ASN Kidney Week 2021 November 4-November 7.

CKD is a long-term condition in which the kidneys do not work as they should. It is common, especially in older people. In the early stages, there are usually few symptoms and people can have the condition without knowing it.

CKD is often caused by other conditions that affect the kidneys. These include diabetes, high blood pressure, high cholesterol and kidney infections. Making healthy lifestyle choices and controlling underlying conditions are important. CKD can get worse over time, but treatments can stop or delay this, and many people live for a long time with their condition well controlled.

Adding dapagliflozin to current standard care has been shown to significantly reduce the risk of having declining kidney function, end-stage kidney disease, or dying from causes related to the kidneys or cardiovascular system.

Source : India Times

बंदूक की नोक पर एक करोड़ के कॉस्मेटिक्स की लूट का मामला

दिल्ली के सेठी गैंग का सरगना साथी सहित गिरफ्तार

हरिद्वार – हरिद्वार के सिडकुल से हरियाणा के रोहतक भेजा जा रहा एक करोड़ का कॉस्मेटिक दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुख्यात सेठी गैंग ने लूटा था। पुलिस और एसओजी ने गिरोह के सरगना सुनील उर्फ सागर उर्फ सेठी उर्फ रवि समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी निशानदेही पर करीब 90 लाख रुपये का सामान और घटना में इस्तेमाल तमंचा व कारतूस व 12 टायर ट्रक बरामद किया है।

रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय पर पत्रकार वार्ता करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 22 अक्तूबर को सिडकुल की हिंदुस्तान यूनीलीवर कंपनी से एक करोड़ से ज्यादा का कॉस्मेटिक सामान ट्रक से रोहतक (हरियाणा) भेजा जा रहा था।

बहादराबाद में हाईवे पर पतंजलि योगपीठ के पास कार सवार बदमाशों ने ट्रक रोककर चालक को बंधक बना लिया और मंगलौर क्षेत्र में ले जाकर माल लूट लिया था। एक करोड़ से ज्यादा का माल दूसरे ट्रक में लोड करने के बाद बदमाश चालक और खाली ट्रक छोड़कर फरार हो गए थे। 

एसएसपी ने बताया कि प्रभारी थानाध्यक्ष व प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक परवेज अली, सहायक थानाध्यक्ष संजीव थपलियाल, एसओजी प्रभारी रणजीत तोमर और श्यामपुर के सहायक थानाध्यक्ष अनिल चौहान के नेतृत्व में चार पुलिस टीमों का गठन किया था।

पुलिस टीमों ने रुड़की, मंगलौर हाईवे पर ट्रांसपोर्ट कंपनी से जुड़े करीब 1200 कर्मचारियों से पूछताछ की। 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाले। आखिरकार घटना को अंजाम देने वाला सुनील, निवासी जेजे कॉलोनी थाना पंजाबी बाग, दिल्ली और उसके साथी शैलेश चौधरी, निवासी परतापुर, थाना टीपी नगर, जिला मेरठ को गिरफ्तार कर लिया गया।

एसएसपी ने बताया कि गैंग के सरगना सुनील ने अपने साथियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने करीब 90 लाख रुपये का सामान आदि बरामद कर लिया है। घटना में शामिल सोनू निवासी अमृतसर (पंजाब) और देवेंद्र निवासी हस्तिनापुर मवाना, मेरठ की गिरफ्तारी के लिए पुलिस व एसओजी की टीम दबिश दे रही है।

जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पुलिस टीम को शाबाशी देते हुए ढाई हजार रुपये का इनाम भी दिया है। इस दौरान एसपी क्राइम पीके रॉय, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, एसपी सदर विशाखा अशोक, एएसपी ज्वालापुर रेखा यादव भी मौजूद रही।